by Dr Abhishek Ranjan | january 13, 2022

What is 'Dengue Type 2 Strain'?

डेंगू के टाइप-2 स्टेन से संक्रमित मरीजों में प्लेटलेट काउंट बहुत तेजी से गिरता है। यह डेंगू में दो तरह से असर करता है। पहला डेंगू हेमरेजिक फीवर (डीएचएफ) और दूसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) है। डेंगू हेमरेजिक फीवर ज्यादा खतरनाक नहीं है लेकिन शॉक सिंड्रोम में बुखार उतरने के बाद मरीज में तेजी से प्लेटलेट की संख्या कम होने प्रकृति देखी गई है। टाइप-2 डेंगू मरीज का बुखार उतरने के बाद भी दी प्लेटलेट्स की जांच कराते रहना चाहिए। यदि प्लेटलेट्स बुखार उतरने के बाद भी 30 हजार से कम हैं तो मरीज को पूरी तरह से आराम करना चाहिए। उसे पौष्टिक तरल पदार्थ देना चाहिए। जिससे शरीर में द्रव की कमी न हो। यदि प्लेटलेट्स इसके बाद भी घटे तो मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी है। जिससे उसे प्लेटलेट्स चढ़ायी जा सके। प्लेटलेट्स काउंट कम होने से रक्तस्राव होने की संभावना होती है। शरीर के प्रतिरक्षण तंत्र और मरीज की शारीरिक स्थिति के अनुसार रक्तस्राव हो सकता है। कुछ मरीजों में 10 हजार प्लेटलेट्स काउंट होने पर भी रक्तस्राव नहीं होता तो कुछ में 30 से 40 हजार काउंट होने पर रक्तस्राव की प्रकृति देखी गई है। कुछ मरीजों में डेंगू और मलेरिया दोनों परजीवी मिले हैं। इसलिए घर के अंदर और बाहर साफ-सफाई सबसे ज्यादा जरूरी है।